
रीवा जिले के गढ थाना अंतर्गत लालगांव चौकी की रेहवा घाटी में बेजुबान जानवरों से क्रूरता की जा रही है। आलम है कि एक सैकड़ा मवेशियों को सिरमौर वन परिक्षेत्र के सरई बीट अंतर्गत रेहवा घाटी में मरने के लिए गिरा दिया है। हालांकि शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से संयुक्त रूप से राजस्व विभाग, पुलिस विभाग व वन विभाग ने 8 मवेशी बाहर निकाले है।
दावा कि शनिवार को अब वृहद रूप से रेस्क्यू ऑपरेशन चलेगा। बीते कुछ दिनों पहले भी शहर के बिछिया थाना अंतर्गत सिलपरा नहर में मवेशियों को गिरा दिया गया था। तब कलेक्टर इलैयाराजा टी के निर्देश पर रेस्क्यू कर निकाला गया था।
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी ने बताया कि शुक्रवार को 8 मवेशी काफी मशक्कत के बाद घाट से उपर पहुंचाया है। हालांकि घाट की रास्ता बड़ा दुर्गम है। इंसान जहां नहीं चढ़ पाता वहां मवेशी कैसे चढ़े। फिर भी संयुक्त रूप से प्रयास जारी रहा।
जबकि घाट के नीचे मवेशी पकड़ में नहीं आ रहे थे। ऐसे में ग्राम पंचायत सरई के ग्रामीणों से भूसा चारा मंगाया। फिर मवेशियों को विश्वास में लिया। तब सफलता मिली। रेस्क्यू करते समय उप वन परिक्षेत्र सहायक बाबूलाल यादव, वन रक्षक संजय वर्मा, गौसेवक सतानंद केवट और जगन्नाथ ने मदद की।
28 सितंबर को 5 लोगों पर दर्ज हुआ था मामला
सूत्रों का दावा है कि प्रदेश सरकार की गौशालाएं कागजों में बनी है। जमीनी स्तर पर कहीं आवारा मवेशियों के रखने के इंतजाम नहीं है। साथ ही किसान वर्ग भी आवारा मवेशी से परेशान रहते है। ऐसे में 28 सितंबर को 5 शरारती तत्वों के खिलाफ गढ़ थाने की लालगांव चौकी में अपराध क्रमांक 122/2021 आईपीसी की धारा 429 और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम धारात 11(डी) का मामला दर्ज हुआ था।
एसडीएम ने बनाई चार सदस्यीय टीम
सिरमौर एसडीएम नीलमणि अग्निहोत्री ने तराई क्षेत्र में मवेशियों के साथ हो रहे क्रूरता पूर्ण व्यवहार को लेकर चार सदस्यीय टीम गठित की है। टीम में जितेन्द्र तिवारी तहसीलदार, पशु चिकित्सा अधिकारी एसके पाण्डेय, गंगेव जनपद पंचायत सीईओ प्रमोद ओझा और गढ़ थाना प्रभारी शिवचरण टेकाम को जांच करने के आदेश दिए है।
9 अक्टूबर को होगा बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन
रेहवा घाटी में 9 अक्टूबर को बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन किया जाएगा। दूसरे दिन गांव के सामाजिक संगठनों की भारी संख्या में मदद लेकर ज्यादा से ज्यादा पशुओं को निकालने का प्लान बनाया गया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे अधिक बाधा खड़ी घाटी के कारण हो रही है। हालांकि पिछले दिनों कुछ पत्थर डालकर रास्ता बनाया गया था। जिसमें पैर रखकर यह गोवंश चढ़ पा रहे थे लेकिन वह अस्थायी रास्ता ऐसा है।